MOTIVATIONAL STORIES FOR STUDENTS अज़ीम प्रेमजी जी की कहानी
MOTIVATION STORY FOR STUDENTS
अज़ीम प्रेमजी की जीवनी
अज़ीम प्रेमजी जी की कहानी
आज मै आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहा हूँ , जिसके बारे में पढ़कर बहुत हौसला मिलेगा। जिन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं की, पर वही व्यक्ति आगे चलकर हिंदुस्तान का सबसे आमिर व्यक्ति बन गया। वह व्यक्ति कोई और नहीं अज़ीम प्रेमजी है, जिनको हिंदुस्तान के सबसे अमीर व्यक्तियों तीसरे और विश्व के 72 वे धनि व्यक्ति है।
भारत का सबसे बड़ा दानवीर :-
अज़ीम हासिम प्रेमजी को भारत का सबसे बड़ा दानवीर भी कहा जाता है। क्यूंकि वे अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा देश के लिए दान कर देते है। उन्होंने " अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन " नाम का एक ट्रस्ट भी खोल रखा है, जो भारत एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए करोडो रुपये खर्च करता है।
अज़ीम प्रेमजी
अज़ीम हासिम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को बॉम्बे में हुआ। अजीम हासिम प्रेमजी के पैदा होने के सिर्फ दो साल बाद हमारा देश आज़ाद हुआ था। अज़ीम हासिम प्रेमजी भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में एक है। उनके पिता प्रसिद्ध व्यापारी थे। अज़ीम हासिम द्वारा लिखित DANCING IN THE RAIN पद्य बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय है। इस पद्य में उन्होंने CHILD LABOURER के बारे में बहुत विस्तार से लिखा है। जो आज हम इस समाज में देख सकते है।
AZIM HASIM PREMJI की STUDENT LIFE
AZIM HASIM PREMJI ने 12 वी तक पढाई मुंबई के "सेंट मैरी स्कूल" से की। 12 वी की पढाई पूरी करने के बाद उनके पिता चाहते थे की बिज़नेस को अच्छी तरह से संभालने के लिए बीटा अमेरिका जाकर पढाई करे। इसलिए उनका अड्मिशन स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में करवा दिया था। जिससे की वे विप्रो का प्रभार लेने के लिए इंजीनीर का अध्ययन कर रहे थे। आज के दौर में अज़ीम हासिम प्रेमजी जैसे महान लोग सभी स्टूडेंट्स के लिए इंस्पिरेशन है। ऐसे व्यक्ति के बारे में पढ़कर हम उनसे बहुत कुछ सिख सकते है।
Motivational story for students
उन दिनों अमेरिका के लोगों के लिए कंप्यूटर बहुत आम चीज होती जा रही थी। लेकिन भारत में कंप्यूटर का बिलकुल भी चलन नहीं था। अमेरिका पहुंचकर पहली उन्होंने आईटी महत्व को जाना, फिर सुनहरे भविष्य के सपनो के सात वह पढाई में जुट गए।
21 वर्ष की उम्र में अज़ीम हासिम प्रेमजी के पिता की मृत्यू हो गयी, इस कारण अज़ीम ने पढ़ाई को बिच में ही छोड़ दिया और अपने पिता का व्यापार चलाने लगे। इस कठिन समय में अज़ीम को कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
विप्रो कंपनी जिसे उस समय पश्चिम भारतीय सब्जी उत्पाद कहा जाता था। लोगों ने कहा की विदेश में पढाई की भाई, तेल-साबुन के बिज़नेस में मत पड़ो, बेहतर है की अच्छी खासी सैलरी और अच्छी सुविधाओं वाली नौकरी कर लो। लेकिन इन सभी बातो को ना सुनकर, अज़ीम प्रेमजी ने अपने पिता के कारोबार की कमान संभाल ली।
आगे चल कर कुछ ही समय बाद जो लोग अज़ीम प्रेमजी को इस बिज़नेस में घुसने से मना कर रहे थे, वही लोग अज़ीम प्रेमजी के काम करने के अंदाज़ देखकर यह कहने लगे "की बेटा तो पिता से भी ज्यादा तरक्की करेगा। उन दिनों हमारा देश आईटी के क्षेत्र में काफी पीछे था, और अमेरिका से पढाई कर के आये प्रेमजी को इस क्षेत्र में एक अच्छा भविष्य नज़र आ रहा था। इसी लिए उन्होंने इसी क्षेत्र में कंपनी के विस्तार का फैसला किया।
जिसके बाद 1980 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदल कर "विप्रो लिमिटेड " कर दिया, और फिर उनकी कंपनी अमेरिका के सेंटिनल कंप्यूटर कारपोरेशन के सात मिलकर मिनी कंप्यूटर बनाने लगी। देखते ही देखते कारोबार बढ़ गया, और विप्रो देश की बड़ी कंपनी बन गयी। यही कारन था की 1999 से लेकर 2005 तक अज़ीम प्रेमजी भारत के सबसे धनि व्यक्ति रहे।
Motivational story for students
"अगर लोग आपके लक्ष्यों (Goal) पर नहीं हँस रहे है, तो आपके लक्ष्य बहुत ही छोटे है "
उन दिनों अमेरिका के लोगों के लिए कंप्यूटर बहुत आम चीज होती जा रही थी। लेकिन भारत में कंप्यूटर का बिलकुल भी चलन नहीं था। अमेरिका पहुंचकर पहली उन्होंने आईटी महत्व को जाना, फिर सुनहरे भविष्य के सपनो के सात वह पढाई में जुट गए।
21 वर्ष की उम्र में अज़ीम हासिम प्रेमजी के पिता की मृत्यू हो गयी, इस कारण अज़ीम ने पढ़ाई को बिच में ही छोड़ दिया और अपने पिता का व्यापार चलाने लगे। इस कठिन समय में अज़ीम को कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
विप्रो कंपनी जिसे उस समय पश्चिम भारतीय सब्जी उत्पाद कहा जाता था। लोगों ने कहा की विदेश में पढाई की भाई, तेल-साबुन के बिज़नेस में मत पड़ो, बेहतर है की अच्छी खासी सैलरी और अच्छी सुविधाओं वाली नौकरी कर लो। लेकिन इन सभी बातो को ना सुनकर, अज़ीम प्रेमजी ने अपने पिता के कारोबार की कमान संभाल ली।
आगे चल कर कुछ ही समय बाद जो लोग अज़ीम प्रेमजी को इस बिज़नेस में घुसने से मना कर रहे थे, वही लोग अज़ीम प्रेमजी के काम करने के अंदाज़ देखकर यह कहने लगे "की बेटा तो पिता से भी ज्यादा तरक्की करेगा। उन दिनों हमारा देश आईटी के क्षेत्र में काफी पीछे था, और अमेरिका से पढाई कर के आये प्रेमजी को इस क्षेत्र में एक अच्छा भविष्य नज़र आ रहा था। इसी लिए उन्होंने इसी क्षेत्र में कंपनी के विस्तार का फैसला किया।
जिसके बाद 1980 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदल कर "विप्रो लिमिटेड " कर दिया, और फिर उनकी कंपनी अमेरिका के सेंटिनल कंप्यूटर कारपोरेशन के सात मिलकर मिनी कंप्यूटर बनाने लगी। देखते ही देखते कारोबार बढ़ गया, और विप्रो देश की बड़ी कंपनी बन गयी। यही कारन था की 1999 से लेकर 2005 तक अज़ीम प्रेमजी भारत के सबसे धनि व्यक्ति रहे।
Azim hasim premji motivational quote for students
"सफलता दो बार हासिल की जाती है पहले दिमाग में और दूसरी बार असली दुनिया में "
विश्व के सबसे तेजी से बढ़ती कमापनियों में से एक के रूप में उभरने के लिए जिम्मेदार होने के लिए प्रेमजी को बिज़नेस वीक द्वारा सबसे महान उद्यमियों में से एक के रूप में मान्यता मिली है। साल 2001 में अज़ीम हासिम प्रेमजी फाउंडेशन स्तापना की।
इसका मतलब केवल बेसहारा लोगों की मदत करना है। अज़ीम कहते है हमारे देश में लाखो बच्चे स्कूल नहीं जाते। अज़ीम के अनुसार देश को आगे ले जाने के लिए शिक्षा सबसे जरुरी जरिया है। 2010 में दुनिया के दो सबसे बड़े दौलतमंद कारोबारी बिल गेट्स और वारेन बफेट ने " THE GIVING PLEDGE अभियान। यह अभियान दुनिया के अमीर लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करता है की वे अपनी अकूत सम्पत्ति का कुछ करिये की कुछहिस्सा परोपकार चर्चा करे। अज़ीम हासिम प्रेमजी इस अभियान में शामिल होने बाले पहले भारतीय बने।
धन्यवाद
इसका मतलब केवल बेसहारा लोगों की मदत करना है। अज़ीम कहते है हमारे देश में लाखो बच्चे स्कूल नहीं जाते। अज़ीम के अनुसार देश को आगे ले जाने के लिए शिक्षा सबसे जरुरी जरिया है। 2010 में दुनिया के दो सबसे बड़े दौलतमंद कारोबारी बिल गेट्स और वारेन बफेट ने " THE GIVING PLEDGE अभियान। यह अभियान दुनिया के अमीर लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करता है की वे अपनी अकूत सम्पत्ति का कुछ करिये की कुछहिस्सा परोपकार चर्चा करे। अज़ीम हासिम प्रेमजी इस अभियान में शामिल होने बाले पहले भारतीय बने।
धन्यवाद
No comments
Thank you for comment